बुधवार, 27 फ़रवरी 2008

तुम अगर साथ देने का वादा करो ………………………

प्रिय कलम,
एक जमाना हो गया तुम्हारे साथ अपना वक्त गुजारे , एक दौर हुआ करता था जब तुम्हारे बिना मेरा एक पल भी नही बीतता था। तुम्हें याद है अपनी दोस्तों कि लंबी फ़ेहरिस्त होने के बावजूद मुझपर तुम्हारा ही खुमार था, मैने अपने जीवन के बहुमूल्य समय तुम संग बिता ये। दिन भर की तमाम गतिविधियाँ, सारे जज्वात, सबकुछ, रात की खामोशी मे जब मेरा मन एकाग्रचित होता था , आँखो के सामने सिर्फ तुम होते थे। आत्मा तुम्हारी आगोश मे तुम्हारी हाथों के कोमल स्पर्श से सज रहा होता था। और फिर देखते ही देखते मेरा सर्वस्व तुममे समा जाता था। मेरे एह्सासों को तुम शब्दो मे पिरोते थे। तुम्हारे वजूद के आइने मे अपनी शक्ल देखकर मुझे अपनी खूबियों पर गुमां होता था। तुम्ही तो थे मेरे सपनो के राजदार । तुम मुझे सही गलत का एहसास दिलाते थे। कभी यूँ लगता था तुम्हारा साथ मुझे एक खास मुकाम तक ले जायेगा। पर ये क्या?
मेरे सपने को ज़माने की नज़र लग गई, मेरी जीन्दगी मे एक भुचाल आया जिसने मेरे सपनों के टुकड़े टुकड़े कर दिये। जिस स्याही से मै अपने सपने सजाती थी, जिन रंगो से मै गुलजार हुआ करती थी, उसी के सामने अपने बिखरे सपनो को समेटने की हिम्मत नही बची थी मुझमे। मैने तुमसे भी अपना नाता तोड लिया, तुमसे जुड़ी तमाम यादों को मैने आग के हवाले कर दिया।

धीरे-धीरे समय गुजरता गया वक्त ने मेरे इरादों को मजबूती दी , और फिर तुम से इतने दिनों के प्रगाढ़ रिश्ते कि ताकत ने मुझे अपने सपनो को दुबारा से सजाने की हिम्मत दी। अच्छे बुरे दिनो के अनुभव ने मुझे ये एहसास दिला दिया है कि तुम्ही मेरे हम सफर हो। तुम्ही हो जो मुझे मेरी मंज़िल तक ले जाओगे। मै फिर से तुम्हें अपना जीवन समर्पित करना चाह्ती हूँ। मै तो तुम्हारी शरण मैं आ गई हूँ एक नई मंजिल पाने के लिये, वादा करो तुम भी मेरा साथ दोगे। ले चलोगे तुम मुझे मेरे सपनों के जहाँ मे। तुम्हारी दुनियाँ मे सफलता के इंतजार मे………………… एक एछुक

बदहाल शिक्षा व्यवस्था के शिकार एक लड़की कि वापसी

5 टिप्‍पणियां:

अजय कुमार झा ने कहा…

julie jee,
shubh sneh, kyaa baat hai itnaa dard itnee baatein, sab theek hai naa ? chaliye isee bahaane se aapne dard baantaa to sahee. aap likahtee rahein.

Ashish Maharishi ने कहा…

कलम में इतना दर्द

vijay kumar sappatti ने कहा…

Aaj pahli baar aapke blog par aaya hoon , pad kar bahut accha laga.

kalam aur apni writing skills ke baaren mein aapne itna accha likha , bahut khushi hui., specially ye lines :

तुम्ही मेरे हम सफर हो।

bahut bahut badhai .

main bhi poems likhta hoon , kabhi mere blog par bhi aayiye.
my Blog : http://poemsofvijay.blogspot.com


regards

vijay

बेनामी ने कहा…

दर्पण झूठ न बोले मे अहाँक दर्द त' बहुत सार गर्भित भ' क' अबैत अछि । एतेक निराशो भेनाई ठीक नै । ओना एक बेर फेर अहाँ भीतरक दर्द के उभारि दैत छी । सॉरी हम मैथिली मे लिखैत छी ई बिना जनने जे अहाँ मैथिली बूझैत छी वा नहि ।
raazpremraaz@gmail.com

shubhra ने कहा…

वापसी का आपका ये सफर नये कीर्तिमान बनाये यहीं शुभकामनाये...।
बहुत अच्छा लिखा है आपने